आधी हकीकत आधा फ़साना

कुछ बातें जो कभी याद आ गयी और कभी गढ़ दी.... आप बीती और किस्सों से भरी ये दुनिया हैं मेरी...

Friday, August 17, 2018

मौत...





मौत से अब दुखी होने लगा हूँ मैं... मैं जब भी अब किसी के जनाज़े या शोक सभा में जाता हूँ तो अंदर ही अंदर बहुत रोने लगता हूँ... कभी कभी आँसू बाहर भी छलक जाते है... पता नहीं क्यों और कैसे ये सिलसिला शुरू हुआ... ऐसा सिर्फ जानने वालो की मौत पे नहीं बल्कि अनजान मृत शरीर देख कर भी अनायास ही रो देता हूँ... ये ज़िन्दगी से प्यार है या मौत का खौफ़, पता नहीं पर ये अभी कुछ दिनों से ही शुरू हुआ है और ये मुझे चिंता में डाल रहा है... कहीं ये मेरे गुमनामी में मर जाने का खौफ़ तो नहीं... 

मुझे बचपन से ही गुमनाम मौत मरने से डर लगता था... गुमनाम मौत सोचना भी मेरे शरीर में सिहरन पैदा करता है... दम घुटता है ऐसे सोच से... पर वक़्त और हालात उसी तरफ लिए जाते रहे है... शायद पहले मैं डरने का नाटक करता था और अब उस नाटक ने जड़ पकड़ लिया हो जैसे... इस गुमनामी से बाहर निकलने की जब भी कोई कोशिश करने की सोचता हूँ तो सामने से किसी अपने पराये का जाता हुआ जनाज़ा दिख जाता है और फिर से एक बार सारा डर बाहर निकल आता है आंखों से... 

1 Comments:

Blogger Unknown said...

Awesome

August 18, 2018 at 7:28 PM  

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